JP Health Paradise

Autism

ऑटिज्म का इलाज कैसे होता है?

Successful Treatment of Autism

  • ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं है, बल्कि बच्चे के मानसिक विकास का रुकना है । जिसके बहुत से कारण हो सकते हैं, जिसमें जल्दी पैदा हो जाना, मशीनों में रखना, जौंडिस/पीलिया होना, साथ में प्रीमेच्योर डिलीवरी होना और डिब्बे का दूध ओर डिब्बा बंद आहार इत्यादि का ज्यादा इस्तेमाल करना. कोरोना काल में देखा गया कि घर में बच्चों ने मोबाइल फोन टीवी इत्यादि स्क्रीन पर उनका ज्यादा समय बिताया जिससे उनके दिमाग का डेवलपमेंट बंद हो गया, इसको वर्चुअल ऑटिज्म भी कहते हैं।
    Autism is not a disease; it is a hindrance to a child's mental development. There can be various reasons for it, such as premature delivery, putting newborns in machines, jaundice, not breastfeeding and instead using market milk, and consuming packaged and processed foods, etc. During the COVID-19 period, it was observed that children spent excessive time on mobile phones, TVs, and screens, causing their brain development to stagnate; this is also known as virtual autism.

  • जेपी हेल्थ पैराडाइज में ऑटिज्म को ठीक करने के लिए एक प्रोटोकॉल का विकास किया गया है । इस प्रोटोकॉल में भोजन आहार को बदलना है, थोड़ी आयुर्वेदिक दवाई है, तेल की मालिश, धूप की सिकाई के साथ बस्ती पंचकर्म इलाज किया जाता है । इससे बच्चे में बहुत जल्दी सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देने लगते हैं, जिनकी स्पीच खत्म हो गई है, जो कि अधिकांश बच्चों में चली जाती है,वह तीन-चार महीने में बोलने लगते हैं। मानसिक विकास के साथ शारीरिक विकास भी सामान्य हो जाता है, इलाज की प्रक्रिया बहुत ही आसान है, पेट में दवाई डालना जो की लैट्रिन के रास्ते एक छोटी नली से सिरिंज के माध्यम से डाल दी जाती है । इस इलाज से बहुत फायदा मिल रहा है। काफी बच्चे ठीक हो गए हैं और हो रहे हैं।
    At JP Health Paradise, a protocol has been developed to treat autism. This protocol includes changing the child's diet, providing some Ayurvedic medicines, oil massages, exposure to sunlight, and administering basti panchakarma treatment. Through this approach, positive changes in children become apparent very quickly. Children who have lost their speech, a common condition in most cases, start speaking within three to four months. Mental development is accompanied by physical development becoming normal. The treatment process is straightforward and is yielding significant benefits. Many children have improved and continue to do so.

  • अब बताते हैं कि खाना क्या खाना है, बच्चों का दूध चीनी चावल गेहूं का आटा बंद करना पड़ता है । चीनी की जगह गुड, शहद, मुनक्का, खजूर इत्यादि मीठे फल दिए जा सकते हैं, चावल की जगह मिलेट के चावल दिए जाते हैं जिनको श्री धान्य मिलट भी कहते हैं, गेंहू के आटे की जगह रागी का आटा, जौ का आटा, चना, ज्वार, मक्का, बाजरा इत्यादि के आटे को मिलाकर बनाया जाता है।
    Changes in diet are crucial. Child has to stop consuming milk, refined sugar, wheat flour, and rice. Instead of sugar, alternatives like jaggery, honey, raisins, dates, and sweet fruits can be given. Millets can replace rice, and a mixture of different flours like Ragi (Finger Millet), Barley, Chickpea, Sorghum, Corn, and Pearl millet can be used.

  • जब यह खाना शुरू होता है तो बच्चों की आंते ठीक होने लगती हैं और इसमें देखा गया की ऐसे बच्चों को कब्ज बहुत रहता है जिसकी वजह से आंते और अंदर के बैक्टीरिया बदल जाते हैं , जिससे दिमाग का विकास रुक जाता है अब जब यह दवाई पेट के अंदर डाली जाती है, तो अच्छे बैक्टीरिया बनने लगते हैं, जिससे मानसिक विकास शुरू हो जाता है और बच्चा ठीक होने लगता है । इस इलाज से कभी भी आज तक किसी को कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं हुआ है । बहुत ही सुरक्षित इलाज है। बस शुरू के तीन-चार दिन किसी को दस्त लग सकता है, हल्का बुखार हो सकता है या उल्टी हो सकती है । उसके बाद सब सामान्य होकर बच्चा प्रसन्न रहने लगता है, बात सुनता है शांत हो जाता है । उसका दिमाग काम करता है, फिर वह बोलने की कोशिश करता है, और उसकी नींद भी अच्छी हो जाती है, पेट में दवाई डालना, मालिश करना, खाने को बदलने के साथ धूप की सिकाई भी बहुत जरूरी है 15 से 20 मिनट तक बच्चों के कपड़े उतार कर धूप में बैठाना चाहिए l
    When this diet begins, child's intestines start to heal.It has been observed that many children suffer from constipation, leading to changes in gut flora, affecting brain development. When this diet starts, children's gut problems resolve, and when the medicine is introduced into the stomach, good bacteria start forming. This initiates mental development, and the child starts improving. There are no side effects to this treatment; it is entirely safe. Some minor issues like diarrhoea, slight fever, or vomiting might occur in the initial three to four days. Afterward, the child becomes content, starts listening, becomes calm, attempts to speak, and sleeps well. Administering medicine into the stomach, massages, dietary changes, and sunlight exposure are essential. Children with autism have delicate minds; hence, they should not be stressed. Parents should avoid forcing them or giving repeated orders; they should calmly observe all their activities. Keeping them away from mobile phones, TVs, laptops, and allowing them to play in the park is crucial. The calmer you are, the faster your child will recover.

बच्चों के साथ घरवालों को कैसा व्यवहार हो

  • इसको भी अच्छी तरह से समझ लीजिए क्योंकि बच्चों का कोमल मानस होता है , इसलिए उनको कोई भी स्ट्रेस नहीं देना है । मां और पिता को ध्यान रखना है, कि वह बच्चों के साथ जबरदस्ती ना करें ना ही उसको बार-बार आदेश दें कि बोलो जल्दी बोलो यह बोलो यह काम मत करो यह काम करो आपको बिल्कुल शांत होकर बच्चों की सारी गतिविधियों पर शांत भाव से देखते रहना है, उनको मोबाइल टीवी लैपटॉप से दूर रखना है, बच्चों को पार्क में खेलने देना है, जितना आप शांत रहेंगे आपका बच्चा उतनी ही जल्दी ठीक होने लगेगा l

  • इस बात को इस बात को अच्छी तरह से समझ लें की पूरी दुनिया में ऑटिज्म की समस्या विकराल रूप से बढ़नी जा रही है । इसका कोई भी इलाज नहीं है । जितनी भी थेरेपी जिसमें स्पीच थेरेपी ऑक्यूपेशनल थेरेपी इत्यादि है वह बच्चों के ऊपर मानसिक तनाव और स्ट्रेस डालते हैं जिससे उनको कोई भी फायदा नहीं हो रहा है।
    The problem of autism is rapidly increasing worldwide. There is no cure. The therapies like speech therapy, occupational therapy, etc., put mental pressure and stress on children, yielding no benefits.

  • सीधी सी बात समझिए कि अगर बुद्धि नहीं बनी तो जबरदस्ती नहीं बना सकते इसलिए जे पी हैल्थ पैराडाइज का प्रोटोकॉल सफल हो गया है जिसमें पोषक तत्व/ न्यूट्रिशन से बुद्धि का विकास हो जाता है और बच्चा सामान्य स्वास्थ्य के साथ विकास करता है, प्रसन्न रहता है बुद्धिमान हो जाता है, और शारीरिक रूप से भी बलवान होकर उसमें इम्यूनिटी बढ़ जाती है जिससे ज्यादा बीमार नहीं पड़ता है और जीवन भर स्वस्थ रहता है।
    The straightforward truth is that if intelligence does not develop naturally, it cannot be forced. That's why the JP Health Paradise protocol has been successful. It focuses on the development of intelligence through nutrition, making the child physically and mentally healthy, content, intelligent, and physically strong, thereby enhancing immunity and ensuring a healthy life.

ऑटिज्म - बच्चों के लिए भोजन निर्देश

Dietary Guidelines for Children with Autism

  • सुबह उठकर खाली पेट एक चम्मच फ्लेम घी पिघला कर पीना है। ऐसे ही शाम को खाने से पहले खाली पेट एक चम्मच पीना है.
    In the morning, on an empty stomach, take a teaspoon of Flame (ghee) and also before dinner, consume a teaspoon on an empty stomach.

  • खाने में चीनी, चावल, गेहूं, और दूध का सेवन नहीं करना है. 3. आटे में 50% रागी, 25% जौ और 15% चना बाकी 10% गेहूं को मिला कर आटा बना लें.
    Do not consume foods containing sugar, rice, wheat flour, and milk.

  • चीनी की जगह गुड़, खजूर, मुनक्का, शहद का प्रयोग करें.
    The flour should consist of 50% ragi (finger millet), 25% barley, 10% gram, and the rest 15% wheat.

  • बच्चे के खाने में घी खूब डालें. घी और मक्खन की मात्रा खूब होनी चाहिए. जितना घी अधिक होगा बच्चों का दिमाग तेजी से ठीक होगा.
    Use dates, raisins, and honey instead of sugar.

  • हरी सब्जी फल खूब खिलाये. सब्जियों में आलू, शकरकंद, अरबी, जिमीकंद (रतालू) भी दें.
    Whatever the child eats, add a good amount of ghee and butter. The more ghee, the sharper the child's brain will become.

  • तेल की मालिश सुबह या शाम कभी भी कर सकते हैं. यह दवाई का तेल है जिसमें 47 औषधियां हैं. दिन में कभी भी जब समय मिले धूप की सिकाई करनी चाहिए. 10 से 15 मिनट धूप में बच्चे को बैठा दें.
    Feed plenty of green vegetables and fruits. Include vegetables like potatoes, sweet potatoes, Colocasia (Arbi) and yams in the diet. You can massage the child with oil in the

  • महत्वपूर्ण : बच्चों को आदेश देना बंद कर दें, उनको बार-बार बुलवाने की कोशिश ना करें. बच्चों को शांत रहने दें. जब वह सोचना शुरु करेगा तब वह आपकी बात को समझने की कोशिश करेगा और आपसे आंखें मिलाएगा. उसके बाद ही शब्द निकलेंगे और वाक्य बनेंगे. शीघ्र विकास के लिए उपरोक्त सभी निर्देशों का पालन करें.
    Keep in mind not to give orders to the child; refrain from repeatedly calling them. Let the child stay calm. When they start thinking, they will try to understand what you are saying, make eye contact, and then words will come out, forming sentences. If you pay attention to these things, development will happen quickly.